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रिंकू सोनकर – झिलमिलाते दीपों की रोशनी से अलंकृत कीजिये अपना जीवन, जानें दिवाली से जुडें कुछ रोचक तथ्य

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  • Rinku Sonker
  • October-25-2019
दीवाली, यानि प्रकाश और रोशनी का पर्व. आप में से हर कोई अपने आप में एक प्रकाश ही तो है, जो अगर खुद में ज्ञान, समझ, लोकहित की भावना का उदय कर ले, तो उसकी दमक दूर दूर तक जाती है और हर दिन दिवाली हो जाता है. समस्त भारत में मनाया जाने वाला यह त्यौहार घुल मिल जाने का उत्सव है, हर ओर दिवाली की शुभ कामनाएं, मिठाइयों की मिठास और अतीत को बिसरा कर सब नए सिरे से प्रारंभ कर लेने की एक अनूठी परंपरा...बस यही सब है दिवाली के इस अद्भुत त्यौहार की खासियत.

भारत में जितना विशेष यह दिवाली का त्यौहार है, उतने ही विशेष और अहम हैं इस पर्व के विभिन्न ऐतिहासिक, पौराणिक और सांस्कृतिक संदर्भ, जिनके चलते पूरे भारत में इस त्यौहार की धूम देखी जा सकती है. तो आईए जानते हैं दीपावली से जुड़े कुछ ऐसे रोचक तथ्य, जिनके कारण दिवाली की यह कतारबद्ध श्रृंखला जन जन को जागृत कर देती है..

1. सतयुग में राजा बलि अपने पराक्रम और दानवीरता के कारण बेहद शक्तिशाली माने जाते थे, जिससे समस्त देवता भयभीत हो गए और भगवान विष्णु की शरण में जाकर याचना की. जिस पर भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी. हालाँकि राजा बलि प्रभु की चालाकी को समझ चुके थे, परन्तु फिर भी वे अपने दानी स्वरुप पर अडिग रहे और तीन पग धरती उन्हें दान में देने का संकल्प लिया.

2. तीन पग में तीनों लोकों को नाप कर भगवान विष्णु ने राजा बलि पाताल लोक का राज्य दिया और उन्हीं के दान के कारण धरती पर आज भी राजा बलि की याद में दिवाली मनाई जाती है.
3. त्रेतायुग में भगवान राम के अयोध्या लौटने पर पूरी नगरी को दुल्हनों सा सजाकर द्वीप जलाकर भगवान राम, लक्ष्मण और जानकी का स्वागत किया गया था.

यह पढ़ें: इस दिवाली आत्मसात करें प्रभु श्री राम के सात गुण और बनाएं अपना जीवन प्रकाशवान

4. दीपावली को लक्ष्मी जयंती के उपलक्ष्य में भी मनाया जाता है, कहा जाता है कि इसी दिन देवताओं और दानवों के द्वारा किये गए समुंद्र मंथन से मां लक्ष्मी का अवतरण हुआ था.

5. द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी रानी सत्यभामा की सहायता से नरकासुर दानव का वध कर उसकी कैद से 16 हजार कन्याओं को मुक्ति दिलाई और समाज में उन्हें प्रतिष्ठित भी किया. इस अत्याचार से मुक्ति होने पर धरतीवासियों ने अगले दिन दिवाली का त्यौहार मनाया था.

6. कार्तिक अमावस्या के दिन ही सिखों के छठवें गुरु हरगोविंद सिंह मुग़ल बादशाह जहांगीर की कैद से मुक्त होकर अमृतसर वापस आये थे, जिस पर लोगों ने दिए जलाकर उनका स्वागत किया.

7. कौटिल्य अर्थशास्त्र, जिसकी रचना ईसा पूर्व चौथी शताब्दी के आस पास हुआ माना जाता है, उसमें भी यह वर्णित है की कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर नदियों के तटों और घाटों पर वृहद् स्तर पर दीपदान किया जाता था और नदियों की चमक देखते ही बनती थी.

8. स्वामी रामतीर्थ का जन्म और महाप्रयाण दोनों ही दीपावली के दिन हुए थे. मान्यता है कि उन्होंने दीपावली के दिन ही गंगा में स्नान करते हुए ओम शब्द का उच्चारण करते हुए जल समाधि ले ली थी.

9. दिवाली केवल हिन्दुओं की हो, यह नहीं कहा जा सकता..क्योंकि भारत सदा से ही धर्म-निरपेक्ष देश रहा है. मुगल कालीन लेखों से स्पष्ट होता है कि मुग़ल काल में भी बहुत से शासक ऐसे रहे हैं, जिन्होंने दिवाली, होली जैसे त्यौहारों में सम्मिलित होकर एकत्व का भाव दर्शाया. दीन-ए-इलाही के प्रवर्तक मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल में दौलतखाने के सामने 40 गज ऊँचे बाँस पर एक बड़ा आकाशदीप दीपावली के दिन लटकाया जाता था और साथ ही लाल किले में भी दिवाली के भव्य आयोजन का उल्लेख मिलता है.

अंततः आप सभी के जीवन में यह दिवाली हर्ष और उल्लास का संचार लेकर आए, आपक जीवन दिवाली के दीयों सा रोशन रहे, खुशियां और समृद्धि आपके कदम चूमें. इन्हीं शुभेच्छाओं के साथ आप सभी को दिवाली के त्यौहार की बहुत बहुत शुभकामानाएं. धनतेरस, दिवाली, गोवर्धन पूजा, भाईदूज और छठ पर्व की आप सभी को मंगल कामनाएं.

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