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विश्वनाथ राम-मैरी क्रिसमस क्रिसमस डे मानवता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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  • Mahananda River
  • December-25-2020

हर साल की समाप्ति से ठीक पांच दिन पहले यानि 25 दिसम्बर को साड़ी दुनिया क्रिसमस डे सेलिब्रेट करती है, लेकिन यहां यह जानना जरुरी हो जाता है कि हम 25 दिसम्बर को ही क्यों क्रिसमस मनाते हैं? ईसाई समुदाय का सबसे बड़ा पर्व क्रिसमस न केवल यूरोप और पश्चिमी देशों में बल्कि एशियाई देशों में भी बेहद धूमधाम से मनाया जाता है. प्रेम और आपसी भाईचारे का सन्देश देता यहाँ त्यौहार किसी एक धर्म या समुदाय से संबंधित नहीं रहकर अब एक सामाजिक पर्व बन गया है. 

विश्वनाथ राम-मैरी क्रिसमस  क्रिसमस डे  मानवता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले प्र

कहा जाता है कि प्रभु यीशु का जन्म इसी दिन हुआ था, इसलिए इस दिन को एक त्यौहार के रूप में मनाने का चलन हुआ. इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि यूरोप में गैर-ईसाई समुदाय के लोग सूर्य उत्तरायण के मौके पर बड़ा त्यौहार मनाया करते थे और 25 दिसम्बर को वहां सूर्य उत्तरायण होने लगता था. इसी के चलते क्रिसमस को बड़ा दिन भी कहा जाता है यानि क्रिसमस से ही दिन का लंबा होना शुरू हो जाता है. इस मान्यता के चलते भी प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन को 25 दिसम्बर को ही मनाना तय किया गया. 

इस दिन बच्चों का सबसे पसंदीदा सेंटा क्लोज और क्रिसमस ट्री की भी बहुत अधिक मान्यता है. कहा जाता है कि ईसा मसीह की मृत्यु के लगभग 280 साल बाद मायरा में संत निकोलस का जन्म हुआ था, जिन्होंने अपना समस्त जीवन प्रभु यीशु के चरणों में समर्पित कर दिया था. वह लोगों की मदद और सेवा किया करते थे और प्रभु यीशु के जन्मदिन पर रात के अँधेरे में बच्चों को तोहफे दिया करते थे. इसी परम्परा के कारण आज भी बच्चे अपने सेंटा क्लोज का इंतजार करते हैं. वहीं क्रिसमस ट्री के पीछे मान्यता है कि प्रभु यीशु के जन्मदिवस पर एक फर के पेड़ को सजाया गया था और बाद में बदलते समय के साथ इसे क्रिसमस ट्री कहा जाने लगा.  

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