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आल इंडिया लाइफ इंश्योरेंस एजेंट्स एसोसिएशन - LIC के 'काले कानून' के खिलाफ AILIAA का प्रदर्शन, अभिकर्ताओं ने किया दफ्तर बंद

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  • Mahananda River
  • October-21-2024
आल इंडिया लाइफ इंश्योरेंस एजेंट्स एसोसिएशन (AILIAA) ने सोमवार को भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) द्वारा 1 अक्टूबर 2024 से लागू किए गए तथाकथित 'काले कानून' के विरोध में दफ्तर बंद कर जोरदार प्रदर्शन किया। अभिकर्ताओं ने इस कानून को अभिकर्ताओं और पॉलिसीधारकों के हितों पर हमला बताया और इसे तुरंत वापस लेने की मांग की।

'फ्लौ बैंक' का निर्णय बना विवाद का केंद्र


राष्ट्रीय अध्यक्ष (ऑल इंडिया लाइफ इंश्योरेंस एजेंट एसोसिएशन) श्री एस एल ठाकुर जी ने कहा कि नए कानून के तहत 'फ्लौ बैंक' के फैसले से बीमा अभिकर्ताओं की आजीविका पर गहरा असर पड़ेगा। संगठन ने पहले ही LIC प्रबंधन, आईआरडीए और वित्त मंत्रालय से इस निर्णय के खिलाफ अपनी आपत्तियां दर्ज कराई थीं। संगठन ने चेतावनी दी थी कि यदि 15 अक्टूबर 2024 तक यह निर्णय वापस नहीं लिया गया, तो आंदोलन तेज किया जाएगा।

21 अक्टूबर को देशभर में विरोध प्रदर्शन


निर्णय न वापस लिए जाने के बाद AILIAA ने 21 अक्टूबर को देशभर में LIC की विभिन्न शाखाओं और मंडलों के गेट पर एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन किया। अभिकर्ताओं ने अपने कार्यालय बंद रखकर नाराजगी जताई।

प्रदर्शन के दौरान अभिकर्ताओं ने कहा कि यह कानून अभिकर्ताओं की आजीविका और पॉलिसीधारकों के हितों पर सीधा प्रहार है। यदि प्रबंधन ने हमारी मांगें पूरी नहीं कीं, तो आंदोलन को और व्यापक और तीव्र किया जाएगा।

संगठन का ऐतिहासिक संघर्ष


AILIAA का यह विरोध कोई नई बात नहीं है। इससे पहले 2003 में भी संगठन ने 22 सूत्रीय चार्टर ऑफ डिमांड्स, GST कानून और अन्य मुद्दों पर जनजागरूकता अभियान और आंदोलन चलाए थे। इन आंदोलनों में संगठन ने LIC प्रबंधन और सरकार को कई बार झुकने पर मजबूर किया।

AILIAA ने स्पष्ट किया है कि अगर LIC प्रबंधन ने जल्द ही उनकी मांगों को नहीं माना, तो वे अपने आंदोलन को और उग्र रूप देंगे। अभिकर्ताओं ने कहा कि यह संघर्ष न केवल उनके हितों के लिए है, बल्कि पॉलिसीधारकों को भी इन कानूनों से होने वाले नुकसान से बचाने का प्रयास है।

संगठन ने आम जनता से इस आंदोलन को समर्थन देने की अपील की है, क्योंकि बीमा उद्योग का यह फैसला व्यापक रूप से सभी को प्रभावित कर सकता है।


वीडियो देखें : वाराणसी, भारतीय जीवन बीमा एवं आई आर डी ए अध्यक्ष के द्वारा लिए गए निर्णय के विरोध सारे संगठन ने किया

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