महानन्दा उत्तर बिहार की एक मुख्य नदी है। इस नदी का उद्गम
पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में करसियांग के 6 कि०मी० उत्तर में हिमालय पर्वत माला में चिमले के पास है
जहाँ से यह नदी 2062 मी० की
ऊँचाई से गंगा तक की अपनी 376 कि० मी० लम्बी यात्रा शुरू करती है। कनकई से संगम के बाद
महानन्दा बरही-गुआहाटी राष्ट्रीय मार्ग 31 (नेशनल हाइवे 31) को बाघझोर के पास पार करते हुये बागडोब तक आती है जहाँ इसकी
धारा दो भागों में बँट जाती है। बागडोब में लगभग दक्षिण की ओर सीधी बहने वाली धारा
को झौआ शाखा कहते हैं और महानन्दा का अधिकांश जलप्रवाह आजकल इसी धारा से होकर
गुजरता है। झौआ शाखा में ही आगे चलकर दाहिने तट पर पनार नदी आकर मिलती है। यह शाखा
आगे चलकर कटिहार बारसोई रेल लाइन को झौआ के पास तथा कटिहार-मालदा रेल लाइन को लाभा
के पास पार करती है। महानन्दा की झौआ शाखा से एक अन्य सहायक नदी घसिया, लाभा के नीचे आकर मिलती
है। यहाँ से महानन्दा की झौआ शाखा पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में प्रवेश कर जाती
है और सुरमारा के पास गंगा नदी से संगम करती है।
महानंदा नदी से जुड़े विभिन्न विषयों और समस्याओं पर गहन शोध के माध्यम से अहम जानकारियों का संकलन करते कार्यकर्त्ता
डॉ. दिनेश कुमार मिश्र ने अपना सम्पूर्ण जीवन नदियों के लिए समर्पित कर रखा है और वह नदियों को उनका परंपरागत व प्राकृतिक स्वरुप प्रदान करने के पक्षधर हैं.
वेंकटेश जी भारत में पर्यावरण विज्ञान के वरिष्ठ शोधकर्ता हैं, जो देश में पर्यावरण, सामाजिक और कृषि संबंधित नवविचारों की दिशा में कार्यरत हैं.